भोपाल। दोपहर मेट्रो राजधानी में प्याज का मुद्दा गर्म है। प्रशासन ने कल शहर में थोक विक्रेताओं से 4 स्टॉल लगवाकर 50 रुपए किलो में प्याज बिकवाई। आज भी यह स्टॉल लगे हुए हैं और बड़ी संख्या में लोग प्याज खरीद रहे हैं। लेकिन छोटे कारोबारियों में एक बार फिर प्रशासन का गरीब विरोधी नीतियां बनाने का मुद्दा गर्मा गया है। स्टॉल पर प्याज बेचने के कारण छोटे व्यापारियों को भी अपनी प्याज अब 50 रुपए बेचने का दबाव बढ़ा है और कई जगह गुरुवार से कम कीमत में प्याज उन्होंने बेची भी। ऐसे में मंडी से लाकर सब्जी बेचने वालों ने कहा कि हमे सिर्फ 3 से 5 रुपए का ही मुनाफा हो पा रहा है। मंडी में प्याजलाने में ही भाड़ा भी लग जाता है। ऐसे में छोटे व्यापारियों द्वारा जनता को लूटने की बात बिल्कुल गलत है। हमे जब मंडी में 40 प्याज मिली तो 45-50 बेची और जब 77 रुपए किलो तक मिली तो 90 रुपए तक इसके दाम पहुंच गए। प्रशासन द्वारा स्टॉल लगाकर प्याज रेट टू रेट बिकवाना छोटे व्यापारियों का कारोबार चौपट करने जैसा ही है। इससे अच्छा होता कि प्रशासन गोदामों रखे प्याज या फिर दूसरे राज्यों से मंगवाकर
हमे भी सब्सिडी में दे देते बेचने के लिएइससे जनता को रहात मिलती।
कहाथा फुटकर व्यापारील्टरहे: व्यापारियों और अधिकारियों की बैठक में बड़े व्यापारियों ने ही खुलासा किया था कि फुटकर व्यापारी लोगों को लूट रहे हैं और मंडियों से सस्ती प्याजलाकर 30 से 40 रुपए तक मुनाफा कमा रहे हैं, वहीं होलसेल व्यापारी भी स्टाक करके इन बढ़ी कीमतों के जिम्मेदार हैं।
छोटे व्यापारियों बोले, 10-15 रुपए कमाते हैं,खरीदकरलाने में भीखर्च होता है.... :बैठक के दौरान बड़े व्यापारियों ने फुटकर कारोबारियों पर ही जिम्मेदार ठहरायइन पर आरोप लगाया था किभोपाल की किसी भी मंडी में 47 रुपए प्रति किलो से ज्यादा महंगी प्याज नहीं बिक रही है। थोक व्यापारी के पास एक ग्रेडक्वालिटी की प्याज भी 50 रुपए से किलो से अधिक की नहीं है। फिर मार्केट में प्याज के भाव 90 रुपए कैसे हो गए। आज से चार दिन पहले जरूर प्याज के रेट 73 रुपए तक पहुंच गए थे।